उसे यह फ़िक्र है हरदम, नया तर्जे-जफ़ा क्या है? हमें यह शौक देखें, सितम की इंतहा क्या है? दहर से क्यों खफ़ा रहे, चर्ख का क्यों गिला करें, सारा जहाँ अदू सही, आओ मुकाबला करें। कोई दम का मेहमान हूँ, ए-अहले-महफ़िल, चरागे सहर हूँ, बुझा चाहता हूँ। मेरी हवाओं में रहेगी, ख़यालों की बिजली, यह… Continue reading उसे यह फ़िक्र है हरदम / भगतसिंह