आशा कम विश्वास बहुत है / बलबीर सिंह ‘रंग’
जाने क्यों तुमसे मिलने की आशा कम, विश्वास बहुत है । सहसा भूली याद तुम्हारी उर में आग लगा जाती है विरह-ताप भी मधुर मिलन के सोये मेघ जगा जाती है, मुझको आग और पानी में रहने का अभ्यास बहुत …