सौ ख़ुलूस बातों में सब करम ख़्यालों में / बशीर बद्र

सौ ख़ुलूस बातों में सब करम ख़्यालों में
बस ज़रा वफ़ा कम है तेरे शहर वालों में

पहली बार नज़रों ने चाँद बोलते देखा
हम जवाब क्या देते, खो गये सवालों में

रात तेरी यादों ने दिल को इस तरह छेड़ा
जैसे कोई चुटकी ले नर्म नर्म गालों में

यूँ किसी की आँखों में सुबह तक अभी थे हम
जिस तरह रहे शबनम फूल के प्यालों में

मेरी आँख के तारे अब न देख पाओगे
रात के मुसाफ़िर थे, खो गये उजालों में

(१९५८)

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