सूरज भी बँधा होगा देखो मेरे बाजू में / बशीर बद्र

सूरज भी बँधा होगा देखो मेरे बाजू में
इस चाँद को भी रखना सोने के तराजू में

अब हमसे शराफ़त की उम्मीद न कर दुनिया
पानी नहीं मिल सकता तपती हुई बालू में

तारीक समन्दर के सीने में गुहर ढूँढो
जुगनू भी चमकते हैं बरसात के आँसू में

दिलदारो सनम झूटे सब दैरो-हरम छूटे
हम आ ही गए आख़िर दुनिया तेरे जादू में

ख़ाबीदा गुलाबों पर ये ओस बिछी कैसे
एहसास चमकता है उस्लूब की ख़ुशबू में

(१९९०)

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