समापन वाक्य / एज़रा पाउण्ड / धर्मवीर भारती

ओ मेरे गीतो
इतनी उत्कण्ठा और जिज्ञासा से क्यों देखते हो तुम लोगों के चेहरों में
क्या उनमें तुम्हें अपने गुज़रे खोये मिल जाएँगे ?

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *