मन मुरिखा तैं यौं हीं जनम गँवायौ / दादू दयाल

मन मुरिखा तैं यौंहीं जनम गँवायौ।
साँईकेरी सेवा न कीन्हीं, इही कलि काहेकूँ आऔ॥टेक॥

जिन बातन तेरौ छूटिक नाहीं, सोई मन तेरौ भायौ।
कामी ह्वै बिषयासँग लाग्यो रोम रोम लपटायौ॥१॥

कुछ इक चेति बिचारी देखौ, कहा पाप जिय लायौ।
दादुदास भजन करि लीजै, सुपिने जग डहकायौ॥२॥

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