जौँ हौँ कहौँ रहिये तो प्रभुता प्रगट होत / केशव.

जौँ हौँ कहौँ रहिये तो प्रभुता प्रगट होत,
चलन कहौँ तौ हित हानि नाहीँ सहनो।
भावै सो करहु तौ उदास भाव प्राण नाथ,
साथ लै चलहु कैसो लोक लाज बहनो।
केशोदास की सोँ तुम सुनहु छबीले लाल,
चले ही बनत जो पै नाहीँ राज रहनो।
जैसिये सिखाओ सीख तुम ही सुजान प्रिय,
तुमहिँ चलत मोहि जैसो कछु कहनो।

केशव का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *