चिड़िया (दो) / अक्षय उपाध्याय

वे नहीं जानते
कैसे छोटी चिड़िया बड़े पंखों से उड़ान भरती है
और आकाश में
एक कोलाहल पैदा करती है

चिड़िया जब भी
गीत गाते हुए लंबे सफ़र पर होती है
यो उसके साथ
पूरी पृथ्वी का शोर और प्रेम होता है
उसके नन्हें सपने होते हैं
और चोंच में दबी हमारी कथाएँ होती हैं

नन्ही चिड़िया के
डैनों से टकरा कर आकाश
जल की तरह
पृथ्वी के सीने पर उतरता है

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