ग़ज़ल कहनी पड़ेगी झुग्गियों पर कारख़ानों पर।
ये फ़न वरना मिलेगा जल्द रद्दी की दुकानों पर।
कलन कहता रहा संभावना सब पर बराबर है,
हमेशा बिजलियाँ गिरती रहीं कच्चे मकानों पर।
लड़ाकू जेट उड़ाये ख़ूब हमने रात दिन लेकिन,
कभी पहरा लगा पाये न गिद्धों की उड़ानों पर।
सभी का हक है जंगल पे कहा ख़रगोश ने जबसे,
तभी से शेर, चीते, लोमड़ी बैठे मचानों पर।
कहा सबने बनेगा एक दिन ये देश नंबर वन,
नतीजा देखकर मुझको हँसी आई रुझानों पर।